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Indian history:ऐसे होती थी रानी और सामंत की रानियो की डोली

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Indian history : ऐसे होती थी रानी और सामंत की रानियो की डोली 

 

Indian history : आज हम आपको ऐसे जानकारी उपलब्ध कराने वाले हैं जो आज से पहले शायद ही आपने सुनी होगी। हम बात करेंगे इतिहासों की जहां पर इतिहासों का ऐसा खजाना हमारे पास है जो की सबको जानने के लिए अपनी ओर आकर्षित करता है। इस इतिहास का सबसे अच्छा भाग यह है कि 200 साल पहले हमारे समय में किस प्रकार से लोग रहा करते थे उसके बारे में हम लोगों को पूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकें।

आज हम आपको 200 साल पुराने समय पर लेकर जाएंगे जहां आपको यह बताएंगे कि किस प्रकार से राजा और महाराजाओं के दौर पर लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक ट्रैवल करते थे। इतना ही नहीं उसे समय की रानियां और राजकुमारी किस प्रकार से अपने आप को दूसरों की नजरों से छुपा कर इस राज्य से दूसरे राज्य की ओर भ्रमण करती थी।

Indian history : डोली का चलता था वह दौर 

उसमें ऐसे दौर हुआ करते थे जिसे देखकर आप भी हैरत मे पड़ जाएंगे। डोरी के माध्यम से सभी लोग अपने आप को एक सहज महसूस करते थे जहां ट्रेवल का वह राजकुमारी और रानियां के लिए सबसे ज्यादा साधन हुआ करता था। डोली में दोनों सिरे पर एक लंबी लकड़ी होती थी। और बीच में छोटा सा एक घर हुआ करता था जहां बैठते और सोने की व्यवस्था होती थी।

Indian history : कहार ले जाते थे डोली

आपको बता दें कि उस डोली को सिर्फ एक जाति एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती थी जिसे कहार बोला जाता था। इसलिए डोली का महत्व एक खास तरीके से होता था हालांकि हर जाति को रोजगार देने के लिए इस प्रकार की प्रथा को चलाया जाता था। जहां इसे डोली को लगभग सभी जाति के लोग इस्तेमाल करते थे लेकिन उसे ले जाने के लिए सिर्फ एक जाति ही निश्चय रूप से निर्भर करती थी।

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Manoj Shukla

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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