Umaria News: कीचड़ में नहीं दिखा विकास, तो महिलाओं ने सड़क पर बो दिया धान
उमरिया तपस गुप्ता ( 7999276090)
अगर सड़क नहीं बनी, तो हम यहीं खेती करेंगे। यह कोई नारा नहीं, बल्कि उमरिया जिले के ग्राम बड़खेड़ा की वर्षों पुरानी उपेक्षा और प्रशासनिक उदासीनता की जीवंत अभिव्यक्ति बन चुका है। मानपुर से मात्र 9 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव तब सुर्खियों में आया जब नाराज महिलाओं ने कीचड़ से लथपथ सड़क पर ही धान की रोपाई कर दी।
गांव के समहा टोला और चौधिराईंन मोहल्ला की सड़कों की हालत बरसों से जर्जर बनी हुई है। बरसात में ये रास्ते दलदल बन जाते हैं, जिन पर पैदल चलना भी किसी जोखिम से कम नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायत के बावजूद जब न सरपंच ने ध्यान दिया और न ही सचिव ने सुनवाई की, तो महिलाओं ने विरोध का यह अनोखा तरीका अपनाया।
सोमवार सुबह महिलाएं कुदाल और धान के बिचड़े लेकर सड़क पर उतरीं और वहीं रोपाई शुरू कर दी। यह दृश्य न केवल चौंकाने वाला था, बल्कि ग्रामीण व्यवस्था की असफलता पर एक तीखा व्यंग्य भी था।
स्थानीय महिला मीना सिंह बताती हैं, हमने कई बार पंचायत से सड़क निर्माण की गुहार लगाई, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। अब पानी सिर से ऊपर हो गया, इसलिए सड़क को ही खेत बना दिया।
गांव में सड़क ही नहीं, शिक्षा और स्वच्छता भी संकट में है। शासकीय प्राथमिक विद्यालय में शौचालय की सुविधा नहीं है, जिससे बच्चे खुले में शौच के लिए मजबूर हैं। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि बच्चों की गरिमा और सुरक्षा पर भी सवाल उठाता है।
ग्रामीणों ने इस प्रदर्शन का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है। वीडियो में महिलाएं कीचड़ भरी सड़क पर धान रोपती दिख रही हैं यह दृश्य शासन-प्रशासन की निष्क्रियता का आईना बन चुका है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे जिला मुख्यालय में धरना देंगे और ज़िला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे। ग्रामीणों का यह कहना है कि यह प्रदर्शन सिर्फ शुरुआत है, अब आवाज बुलंद की जाएगी।
वहीं इस मामले में कांग्रेस नेत्री व जनपद सदस्य रोशनी सिंह ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ग्रामीण क्षेत्रों की हालत बेहद खराब है। सड़कें नहीं हैं, लोग घरों से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं, इसलिए ग्रामीणों ने सड़क पर रोपा लगा दिया। अब लोग मेढ़ से आना-जाना करेंगे। यह सरकार की असफलता का परिणाम है।
स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रशासन इस पूरे घटनाक्रम पर अभी तक चुप हैं। वहीं ग्रामीणों का गुस्सा अब आंदोलन की दिशा पकड़ता दिख रहा है।
बड़खेड़ा की सड़क पर बोया गया यह धान, दरअसल विकास की उस फसल की प्रतीक्षा है जो कागज़ों से निकलकर ज़मीन पर अब तक नहीं आई।
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