उमरिया कांग्रेस में उठी बगावत, आदिवासी नेताओं ने विजय कोल की नियुक्ति पर जताया विरोध
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
जिला कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष विजय कोल की ताजपोशी के साथ ही पार्टी के अंदरूनी मतभेद सतह पर आ गए हैं। आदिवासी समाज से जुड़े वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए इसे संगठन को कमजोर करने वाला कदम बताया है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस निर्णय से न केवल बहुसंख्यक गोंड आदिवासी समुदाय की अनदेखी हुई है, बल्कि इससे कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आदिवासी नेताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व ने राहुल गांधी की उस घोषणा को दरकिनार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि संगठन में जिम्मेदारी आबादी के अनुपात के आधार पर दी जाएगी। इसी घोषणा के बाद संगठन सृजन अभियान भी शुरू किया गया था। लेकिन 16 अगस्त को जब जिला कांग्रेस अध्यक्ष की घोषणा हुई तो आदिवासी समाज को दरकिनार कर दिया गया।
नेताओं का कहना है कि जिले की करीब 50 प्रतिशत आबादी गोंड आदिवासियों की है, जबकि कोल समाज की संख्या मात्र 5 प्रतिशत है। इसके बावजूद विजय कोल को जिला अध्यक्ष बना दिया गया, जो आदिवासी समाज के साथ सीधा अन्याय है। कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया कि जब कांग्रेस का मूल वोट बैंक आदिवासी हैं, तो फिर संगठनात्मक नेतृत्व में उनकी हिस्सेदारी क्यों नहीं सुनिश्चित की गई?
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि विजय कोल का जिले के कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव नहीं है। वे अधिकतर भोपाल में रहते हैं और केवल तब सक्रिय दिखाई देते हैं जब कोई बड़ा नेता जिले का दौरा करता है। इसके अलावा वे पूर्व में विधानसभा और लोकसभा चुनाव भी हार चुके हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति को कार्यकर्ता कांग्रेस नेतृत्व द्वारा थोपे गए फैसले के रूप में देख रहे हैं।
नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि इस नियुक्ति के पीछे भाजपा की स्लीपिंग सेल जैसी रणनीति की झलक दिखाई देती है। उनका तर्क है कि बहुसंख्यक समाज से आने वाले नेताओं को किनारे कर कमजोर उम्मीदवार को आगे करके संगठन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
कांग्रेस के आदिवासी नेताओं ने साफ चेतावनी दी है कि यदि इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो इसका सीधा असर आने वाले विधानसभा चुनाव में दिखेगा। उनका कहना है कि आदिवासी समाज को यदि कांग्रेस में सम्मानजनक स्थान नहीं मिलेगा तो वे पार्टी से दूरी बना सकते हैं, जिसका लाभ भाजपा को मिलना तय है।
विज्ञप्ति पर हस्ताक्षर करने वालों में छेदीप्रसाद सिंह, श्यामनारायण सिंह, विनोद सिंह और नत्थू लाल सहित कई आदिवासी कार्यकर्ता शामिल हैं। इन नेताओं ने राष्ट्रीय नेतृत्व से अपील की है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और जिले में संगठनात्मक संतुलन बहाल करने के लिए नया निर्णय लिया जाए।
कांग्रेस के भीतर इस तरह का विरोध ऐसे समय में सामने आया है जब पार्टी लगातार कमजोर संगठन और अंदरूनी कलह से जूझ रही है। प्रदेश में पहले ही कई जिलों में नियुक्तियों को लेकर असंतोष की खबरें सामने आ चुकी हैं। अब उमरिया में आदिवासी नेताओं की नाराजगी ने कांग्रेस नेतृत्व की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से सीधा हस्तक्षेप करने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर पार्टी नेतृत्व ने तुरंत हस्तक्षेप नहीं किया तो जिले में कांग्रेस का जनाधार खिसक सकता है और संगठन का मनोबल भी टूट सकता है।