पिहरी प्रकरण: एक माह बाद भी अधूरी जांच, कलेक्टर की समिति अब तक रिपोर्ट देने में नाकाम
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की पनपथा रेंज में दर्ज कथित फर्जी प्रकरणों की जांच एक माह बीतने के बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। 4 सितंबर 2025 को कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी धरणेंद्र कुमार जैन ने इस मामले में जांच समिति गठित की थी और सात दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। लेकिन अब तक समिति कोई ठोस नतीजा सामने नहीं ला पाई है। जांच में हो रही देरी को लेकर राजनीतिक दलों और स्थानीय नागरिकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
क्या है मामला
पनपथा रेंज क्षेत्र के कई नागरिकों और राहगीरों ने आरोप लगाया था कि एसडीओ फॉरेस्ट भूरा गायकवाड़ और उनकी टीम ने बिना ठोस सबूत के उन पर फर्जी प्रकरण दर्ज किए और उन्हें जेल भेज दिया। इन शिकायतों के बाद मामला गंभीर मानते हुए कलेक्टर ने तत्काल जांच के आदेश दिए और उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। समिति की अध्यक्षता जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) आईएएस अभय सिंह को सौंपी गई थी, जबकि सदस्य के रूप में वन विकास निगम मंडल उमरिया के संभागीय प्रबंधक आईएफएस अमित पटौदी, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मानपुर टी.आर. नाग, और अनुविभागीय अधिकारी पुलिस मानपुर नागेंद्र सिंह को शामिल किया गया था।
सात दिन में रिपोर्ट देने का था निर्देश
कलेक्टर के आदेश के मुताबिक समिति को सात दिन के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, ताकि यदि किसी कर्मचारी द्वारा अधिकारों का दुरुपयोग किया गया हो तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके। लेकिन तय समयसीमा के एक महीने बाद भी जांच रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है। इस देरी ने प्रशासनिक प्रणाली की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अधिकारी बोले जांच प्रक्रिया जारी है
मुख्य कार्यपालन अधिकारी और समिति अध्यक्ष अभय सिंह ने बताया कि जांच अंडर प्रोसेस है। वहीं अनुविभागीय अधिकारी पुलिस नागेंद्र सिंह ने कहा कि कुछ बयानों को एडीएम स्तर पर दर्ज किया गया है और मौके का निरीक्षण भी किया गया है। हालांकि, सभी तथ्यों को एक साथ संकलित कर रिपोर्ट तैयार करने में समय लग रहा है।
राजनीतिक दलों ने जताई नाराजगी
पिहरी प्रकरण को लेकर भाजपा, कांग्रेस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तीनों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। उनका कहना है कि यदि निर्दोष नागरिकों को झूठे मामलों में फंसाकर जेल भेजा गया है तो यह प्रशासनिक अन्याय है। विपक्षी दलों ने जांच में हो रही देरी को प्रशासनिक उदासीनता बताते हुए चेतावनी दी है कि अगर जल्द रिपोर्ट पेश नहीं की गई तो वे आंदोलन करेंगे।
जनता में बढ़ रहा असंतोष
लगातार हो रही देरी से पनपथा क्षेत्र के नागरिकों में रोष है। लोगों का कहना है कि यदि वास्तव में फर्जी मामलों में गिरफ्तारियां की गईं, तो यह न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है। ग्रामीणों का कहना है कि जांच समिति की रिपोर्ट ही यह तय करेगी कि अधिकारी निर्दोष हैं या उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया है।
कलेक्टर द्वारा गठित समिति को महज सात दिन का समय दिया गया था, लेकिन एक माह बाद भी रिपोर्ट न आना प्रशासनिक ढिलाई का संकेत देता है। अब सभी की निगाहें समिति की अंतिम रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो यह स्पष्ट करेगी कि “पिहरी प्रकरण” में सच क्या है और दोषी कौन।