सलखनिया बीट में गिरे पेड़ की खोह से मिले दो बाघ शावक, वन विभाग ने सुरक्षित किया रेस्क्यू
उमरिया
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर क्षेत्र में शुक्रवार को वन विभाग की टीम ने दो बाघ शावकों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया। ये दोनों शावक सलखनिया बीट के कक्ष क्रमांक PF-610 में गिरे हुए पेड़ की खोह में छिपे हुए मिले। टीम को शावकों की मौजूदगी का पता तब चला जब नियमित गश्ती दल ने एक शावक को उस खोह में घुसते हुए देखा। इसके बाद विभाग ने तत्काल सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
जानकारी के अनुसार, गश्ती दल ने घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी, जिसके बाद क्षेत्र संचालक के निर्देशन और मार्गदर्शन में मौके पर सघन तलाशी अभियान चलाया गया। सर्चिंग के दौरान आसपास के इलाके में बड़े नर या मादा बाघ की मौजूदगी के कोई निशान नहीं मिले। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि शावक किसी कारणवश अपनी मां से बिछड़ गए होंगे या मां किसी अन्य क्षेत्र में चली गई होगी।
रेस्क्यू अभियान में वन विभाग के अनुभवी अफसर और कर्मचारी शामिल रहे। क्षेत्र संचालक के आदेश पर एडी ताला, एसडीओ पनपथा, आरओ खितौली, आरओ पनपथा बफर, रेस्क्यू दल और कैम्प हाथियों की मदद से पूरे इलाके की घेराबंदी कर शावकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। अभियान को सावधानीपूर्वक अंजाम दिया गया ताकि शावकों को किसी तरह की चोट या तनाव न पहुंचे।
दोनों बाघ शावकों को रेस्क्यू के बाद ताला ले जाया गया, जहां उनका स्वास्थ्य परीक्षण वन्यजीव चिकित्सकों की देखरेख में किया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में दोनों शावक स्वस्थ बताए जा रहे हैं, हालांकि उन्हें फिलहाल विशेष निगरानी में रखा गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ स्तर से आगे की कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए हैं। स्वास्थ्य परीक्षण की रिपोर्ट और विशेषज्ञों की सलाह के बाद यह तय किया जाएगा कि शावकों को किस तरह आगे संभाला जाएगा उन्हें मां की तलाश में पुनः क्षेत्र में छोड़ा जाए या अस्थायी रूप से रेस्क्यू सेंटर में रखा जाए।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रशासन के अनुसार, ऐसे मामलों में सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि शावकों की मां आसपास मौजूद है या नहीं। यदि मां का कोई पता नहीं चलता, तो शावकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है। इसी प्रक्रिया के तहत सलखनिया बीट से मिले इन दोनों शावकों को रेस्क्यू किया गया।
वन अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के घटनाक्रम वन्यजीव संरक्षण की चुनौतियों को उजागर करते हैं। जंगलों में पेड़ गिरने, प्राकृतिक आपदाओं या मानव गतिविधियों के कारण कई बार बाघिन अपने शावकों से अलग हो जाती हैं। ऐसे में वन विभाग की त्वरित कार्रवाई ही इनकी जान बचा पाती है।
स्थानीय वनकर्मियों और रेस्क्यू दल के प्रयासों की सराहना की जा रही है, जिन्होंने समय रहते मौके पर पहुंचकर दोनों शावकों को सुरक्षित निकाला। अब पूरी टीम शावकों की सेहत पर नज़र रखे हुए है और वरिष्ठ अधिकारियों से आगे के निर्देशों का इंतजार कर रही है।
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि बांधवगढ़ का वन अमला न सिर्फ बाघों की सुरक्षा के लिए सतर्क है, बल्कि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने में सक्षम भी है।
