कलेक्टर के बाद अब कांग्रेस जिलाध्यक्ष के नाम से ठगी की कोशिश, साइबर गिरोह सक्रिय
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
जिले में साइबर ठगी के नए-नए मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बीते दिनों जहां कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन के नाम से एक फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाकर लोगों से ठगी की कोशिश की गई थी, वहीं अब इसी तरह का एक और मामला सामने आया है। इस बार शिकार बने हैं हाल ही में नियुक्त हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजय कोल। ठगों ने उनका नाम और फोटो इस्तेमाल करते हुए व्हाट्सएप के जरिए जिले के कई लोगों को मैसेज भेजकर पैसों की मांग की है।
जानकारी के मुताबिक, ठगों ने एक व्हाट्सएप प्रोफाइल तैयार किया है जिसमें विजय कोल की फोटो और नाम डालकर भरोसे का माहौल बनाया गया। इसके बाद अलग-अलग लोगों को मैसेज भेजते हुए उनसे पैसे की मांग की गई। संदेश का अंदाज ऐसा था मानो खुद जिलाध्यक्ष ने किसी जरूरी काम के लिए आर्थिक मदद मांगी हो। इस तरह की हरकत से जिले में हड़कंप मच गया है और कांग्रेस कार्यकर्ताओं से लेकर आम नागरिकों तक में नाराजगी देखने को मिल रही है।
पहले भी कलेक्टर के नाम से हुई थी कोशिश
ठगी का यह नया मामला सामने आने से पहले कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन के नाम से भी एक फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाई गई थी। उस प्रोफाइल से लोगों को घरेलू सामान और इलेक्ट्रॉनिक आइटम बेहद सस्ते दामों में उपलब्ध कराने का लालच दिया जा रहा था। इस दौरान कई लोगों से ठगी का प्रयास किया गया। हालांकि, समय रहते मामला पकड़ में आने पर लोगों को सतर्क कर दिया गया और कलेक्टर ने खुद स्पष्ट किया कि उनका इन गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है।
अब कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजय कोल के नाम का इस्तेमाल होने से साफ है कि साइबर ठग जिले के प्रभावशाली और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की पहचान को निशाना बना रहे हैं, ताकि लोगों का भरोसा जल्दी जीता जा सके और पैसों की ठगी आसानी से की जा सके।
विजय कोल ने की लोगों से अपील
इस मामले में कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजय कोल ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण की शिकायत साइबर सेल से कर दी है। उनका कहना है कि यह न केवल ठगी की कोशिश है बल्कि उन्हें बदनाम करने की साजिश भी हो सकती है। उन्होंने जिलेवासियों से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध मैसेज या कॉल पर भरोसा न करें और तुरंत इसकी सूचना पुलिस या साइबर सेल को दें।
उन्होंने साफ कहा, मेरा केवल 8770265035 नंबर ही आधिकारिक है। यही मेरा फोन और व्हाट्सएप नंबर है। इसके अलावा किसी भी नंबर से अगर पैसे की मांग की जाती है तो उस पर भरोसा न करें और किसी भी तरह का लेन-देन न करें।
लगातार बढ़ रहे हैं साइबर अपराध
उमरिया जिले में हाल के महीनों में साइबर अपराध के मामलों में तेजी आई है। इंटरनेट और सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर ठग लोगों को जाल में फंसा रहे हैं। कभी वे सरकारी अधिकारियों के नाम पर, तो कभी राजनीतिक पदाधिकारियों की पहचान का इस्तेमाल कर लोगों को धोखा देने की कोशिश करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संगठित गिरोह हो सकते हैं, जो अलग-अलग जिलों में सक्रिय हैं और तकनीकी कमजोरियों का फायदा उठाकर आम नागरिकों को निशाना बनाते हैं।
प्रशासन और पुलिस की भूमिका अहम
इन घटनाओं से साफ है कि साइबर सुरक्षा को लेकर आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। प्रशासन और पुलिस को भी ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई करनी होगी, ताकि लोगों का भरोसा कायम रह सके और ठगों के हौसले पस्त हों। वहीं, लोगों को भी सजग रहना होगा और किसी भी संदिग्ध लिंक, कॉल या मैसेज पर बिना पुष्टि किए कदम नहीं उठाना चाहिए।
इस घटना के सामने आने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों में आक्रोश है। उनका कहना है कि जिले में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के नाम का दुरुपयोग कर ठग खुलेआम सक्रिय हैं, लेकिन अब तक इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि साइबर गिरोह का पर्दाफाश किया जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
कलेक्टर के नाम से ठगी की कोशिश और अब कांग्रेस जिलाध्यक्ष के नाम से पैसों की मांग, दोनों घटनाएं जिले में साइबर अपराधियों की बढ़ती हिम्मत को दिखाती हैं। यह केवल वित्तीय अपराध नहीं बल्कि समाज में भ्रम और अविश्वास फैलाने की कोशिश भी है। ऐसे में जरूरी है कि लोग सतर्क रहें, किसी भी संदिग्ध मैसेज की तुरंत शिकायत करें और अफवाह या लालच में न आएं।
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