पाली के छात्रावास में फिर चूक, जंगल से बरामद हुईं दो छात्राएं
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
जिले के पाली विकासखंड में स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय एक बार फिर विवादों में आ गया है। शनिवार को सुबह छात्रावास से 11वीं और 12वीं कक्षा की दो छात्राएं अचानक गायब हो गईं। ये छात्राएं क्रमशः ग्राम बरबसपुर और ग्राम मढवाटोला की रहने वाली हैं। घटना सामने आने के बाद विद्यालय प्रशासन और अभिभावकों में हड़कंप मच गया। हालांकि पाली पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दोनों छात्राओं को सस्तरा के जंगल से बरामद कर लिया, लेकिन इस घटना ने विद्यालय प्रबंधन की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बार-बार दोहराई जा रही लापरवाही
यह पहली बार नहीं है जब पाली के किसी छात्रावास से छात्राएं अचानक लापता हुई हों। करीब एक महीने पहले नेताजी सुभाषचंद्र बोस छात्रावास से भी तीन छात्राएं अचानक गायब हो गई थीं। उस समय भी अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। पुलिस ने उन छात्राओं को कुछ ही घंटों में मैहर से बरामद कर लिया था, लेकिन प्रबंधन की ओर से उस घटना से कोई सबक नहीं लिया गया। परिणामस्वरूप, अब दोबारा ऐसी गंभीर चूक सामने आई है।
प्रशासनिक लापरवाही उजागर
इस तरह की घटनाओं ने साफ कर दिया है कि विद्यालय प्रबंधन छात्रावास में सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखने में नाकाम साबित हो रहा है। छात्रावास में न तो उचित निगरानी तंत्र है और न ही बच्चों के व्यवहार पर कोई गंभीर ध्यान दिया जा रहा है। आमतौर पर छात्रावासों में वार्डन, सुरक्षा गार्ड और शिक्षकों की टीम बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखती है। लेकिन लगातार लापता हो रही छात्राओं के मामले से यह साफ हो गया है कि प्रबंधन न तो रात के समय निगरानी करता है और न ही बच्चों की मानसिक और भावनात्मक समस्याओं को समझने का प्रयास कर रहा है।
अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुरक्षित माहौल की उम्मीद में छात्रावास भेजते हैं, लेकिन यहां आए दिन सुरक्षा खामियों के मामले उजागर हो रहे हैं। अगर बार-बार बच्चे गायब हो रहे हैं तो इसका सीधा मतलब है कि विद्यालय प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम है।
पुलिस की तत्परता, प्रबंधन की चुप्पी
पाली थाना प्रभारी राजेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि सूचना मिलते ही पुलिस ने सर्च अभियान चलाया और कुछ ही घंटों में दोनों छात्राओं को सस्तरा जंगल से ढूंढ निकाला। फिलहाल दोनों को थाने लाया गया है और पूछताछ की जा रही है। पुलिस की तेज कार्रवाई से एक बड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन यह सवाल जस का तस बना हुआ है कि आखिर विद्यालय प्रबंधन कब अपनी जिम्मेदारी निभाएगा।
हर बार पुलिस ही सक्रिय होकर बच्चों को सुरक्षित बरामद कर रही है, जबकि छात्रावास का प्राथमिक दायित्व है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। लेकिन इस मामले में प्रबंधन हर बार चुप्पी साध लेता है और समस्या वहीं की वहीं बनी रहती है।
अभिभावकों और स्थानीय लोगों में आक्रोश
लगातार हो रही घटनाओं से अभिभावकों और स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते छात्रावास की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। हर बार बच्चियां भाग जाती हैं, फिर पुलिस उन्हें खोजकर ले आती है, लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। आखिर इस गैर-जिम्मेदारी का खामियाजा कौन भरेगा? स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया।
स्थानीय लोगों का मानना है कि केवल सुरक्षा गार्ड या ताले लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। किशोरावस्था में बच्चे कई बार भावनात्मक और मानसिक दबाव से गुजरते हैं। ऐसे में विद्यालयों और छात्रावासों में मनोवैज्ञानिक परामर्श और संवाद का माहौल जरूरी है। प्रबंधन को चाहिए कि वह बच्चों के साथ संवाद बढ़ाए, उनकी समस्याओं को सुने और नियमित काउंसलिंग की व्यवस्था करे।
जिम्मेदारी से बच नहीं सकता प्रबंधन
दो अलग अलग घटनाओं का सिलसिला यह साबित करता है कि प्रबंधन न सिर्फ लापरवाह है बल्कि संवेदनशील मुद्दों को भी गंभीरता से नहीं ले रहा। पुलिस हर बार छात्राओं को ढूंढकर ला सकती है, लेकिन यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है। वास्तविक समाधान तभी होगा जब विद्यालय प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाए और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करे।
फिलहाल दोनों छात्राओं के सुरक्षित मिलने से थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन यह घटना इस बात की कड़ी याद दिलाती है कि छात्रावास में रहने वाले बच्चों की सुरक्षा केवल पुलिस के भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती। अगर प्रबंधन अब भी नहीं जागा तो आने वाले समय में और गंभीर हादसे हो सकते हैं।