सतना PWD घोटाला,फर्जी दस्तावेज़ों से ठेकेदार और इंजीनियर ने उड़ाए करोड़ों, EOW ने दर्ज किया केस
सतना लोक निर्माण विभाग (PWD) में करोड़ों रुपये के गबन का बड़ा मामला सामने आया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) रीवा ने जांच के बाद तत्कालीन कार्यपालन यंत्री मनोज द्विवेदी और दिल्ली की एस.आर. कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया है।
फर्जी एनओसी से मिला भुगतान
EOW की पड़ताल में खुलासा हुआ कि ठेकेदार ने एक फर्जी रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र (NOC) प्रस्तुत किया। इस दस्तावेज़ पर यह दर्शाया गया कि यह खनिज शाखा रीवा से जारी हुआ है। इसी आधार पर कार्यपालन यंत्री मनोज द्विवेदी ने 2.59 करोड़ रुपये की रोकी गई राशि का भुगतान कर दिया। लेकिन जांच में साफ हुआ कि यह प्रमाण पत्र कभी भी खनिज विभाग से जारी नहीं किया गया था।
46 किलोमीटर सड़क निर्माण में धांधली
पूरा मामला 2017 से 2022 के बीच सीआरएफ योजना के अंतर्गत बनाए गए 46.70 किलोमीटर सड़कों से जुड़ा है। इसमें सेमरिया-बनकुइंया, मझियार, बकिया, लौलाछ, खाम्हा, इटौर, मैनपुरा, टिकरी और गोरड्या जैसे मार्ग शामिल हैं। ठेकेदार से अनुबंध 1 मई 2017 को हुआ था और अंतिम भुगतान 27 जुलाई 2021 को किया गया।
कैसे खुला फर्जीवाड़ा
निर्माण कार्य में देरी के चलते भुगतान रोका गया था। लेकिन ठेकेदार ने रोक हटाने के लिए फर्जी एनओसी पेश की। बिना सत्यापन किए तत्कालीन कार्यपालन यंत्री ने इसे मंजूर कर दिया। कार्यालय में न तो इसकी एंट्री थी और न ही खनिज विभाग से कोई रिकॉर्ड। यहां तक कि लेखाधिकारी की आपत्ति भी दरकिनार कर दी गई।
EOW की कार्रवाई
EOW एसपी ने बताया कि इस हेरफेर से शासन को 2 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। अब आरोपी इंजीनियर और ठेकेदार पर भादंवि की धारा 120बी, 409, 420, 467, 468, 471 के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र क्या है?
खनिज विभाग यह प्रमाण पत्र जारी करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि निर्माण कार्य में उपयोग किए गए खनिजों की रॉयल्टी शासन को मिल चुकी है। इसके बिना अंतिम भुगतान संभव नहीं होता। मगर इस केस में फर्जी दस्तावेज़ बनाकर शासन को करोड़ों का चूना लगाया गया।
