Umaria News: लोकायुक्त ट्रैप के आरोपी सचिव को जिला पंचायत ने फिर दी जिम्मेदारी, कांग्रेस नेता ने किया विरोध
सीईओ बोले- “ऑफिस मुझे चलाना है”, कांग्रेस ने किया तीखा प्रहार
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के बीच लोकायुक्त ट्रैप में पकड़े गए एक ग्राम पंचायत सचिव को जिला पंचायत उमरिया द्वारा दोबारा सचिवीय कार्य की जिम्मेदारी सौंपे जाने से नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस नेता त्रिभुवन सिंह ने इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए जिला प्रशासन की नीयत और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
ट्रैप की कार्यवाही और मामला
दिनांक 24 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त संगठन रीवा की टीम ने पुलिस महानिदेशक श्री जयदीप प्रसाद के निर्देशानुसार उमरिया जिले में ट्रैप कार्यवाही की थी। ग्राम पठारी कला के निवासी नत्थू लाल बैगा ने शिकायत की थी कि उनके पुत्र स्व. राजकुमार बैगा की मृत्यु आकाशीय बिजली गिरने से 2019 में हो गई थी, और उसका मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के एवज में ग्राम पंचायत पठारी कला के सचिव रामू सोनी ने ₹5,000 की रिश्वत मांगी थी।
शिकायत के सत्यापन उपरांत लोकायुक्त ने ट्रैप की कार्यवाही की और रामू सोनी को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। घटना स्थल पुराना बस स्टैंड उमरिया रहा।
फिर दी गई जिम्मेदारी, सवालों में प्रशासन
अभी मामला शांत भी नहीं हुआ था कि जिला पंचायत उमरिया द्वारा आदेश क्रमांक 01/343024/2025 दिनांक 03 जुलाई 2025 को जारी कर आरोपी सचिव रामू प्रसाद सोनी को ग्राम पंचायत बड़ागांव जनपद पंचायत करकेली में सचिवीय कार्यों की जिम्मेदारी सौंप दी गई। आदेश के पालन में रामू सोनी ने 07 जुलाई 2025 को बड़ागांव पंचायत में कार्यभार भी ग्रहण कर लिया।
कांग्रेस ने किया विरोध, सीईओ ने झाड़ा पल्ला
इस नियुक्ति पर कांग्रेस नेता त्रिभुवन सिंह ने तीखा विरोध करते हुए कहा,जिस व्यक्ति को लोकायुक्त ने रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़ा, उसे दोबारा पंचायत सचिव बनाकर जनता के साथ धोखा किया जा रहा है। यह प्रशासनिक भ्रष्टाचार और नैतिक गिरावट का स्पष्ट प्रमाण है।
जब इस विषय पर जिला पंचायत सीईओ अभय सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,ऑफिस मुझे चलाना है, आप उनसे बात कर लीजिए।
सीईओ की यह टिप्पणी न केवल गैर-जिम्मेदाराना प्रतीत होती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की कथित जीरो टॉलरेंस नीति महज कागजी साबित हो रही है।
लोकायुक्त की कार्रवाई का असर शून्य?
सवाल यह उठता है कि जब भ्रष्टाचार के आरोप में ट्रैप की कार्यवाही हो चुकी है और मामला स्पष्ट है, तो फिर उसी अधिकारी को दोबारा क्यों नियुक्त किया गया? क्या यह लोकायुक्त जैसी संस्थाओं की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता पर आघात नहीं है? क्या यह फैसला आम जनता के विश्वास को नहीं तोड़ता?
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जिस व्यक्ति पर पहले से भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, उसे पंचायत का काम देना गांव की जनता के साथ अन्याय है। ग्रामीणों ने मांग की है कि रामू सोनी की नियुक्ति तुरंत निरस्त की जाए और मामले की उच्चस्तरीय जांच हो।
रामू सोनी की पुनः नियुक्ति न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी बाधा भी साबित हो सकती है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है। कांग्रेस ने पहले ही विरोध की हुंकार भर दी है, अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है।