History of india : भारत देश में अनेक राजा और महाराज हुए जहां उन्होंने कई ऐसे कार्य किया जो आज भी याद है लेकिन कुछ राजा और महाराज ऐसे थे जिन्होंने कार्य तो किया लेकिन उनका कहीं उल्लेख नहीं है। आज हम आपके लिए एक ऐसे ही महाराज के बारे में जानकारी लेकर आए हैं जो आज से पहले अपने काम ही सुना होगा।
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की जहां मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में रतलाम के महाराजा हुआ करते थे जिनका नाम महाराजा रणजीत सिंह था। यह उसे समय के महाराजा हुआ करते थे जब भारत अंग्रेजों का गुलाम हुआ करता था। गुलाम भारत में यह अपने आप को न केवल स्वतंत्र रख रहे थे बल्कि अपने लोगों के जीवन की रक्षा करने के लिए वह हमेशा तत्पर रहते थे।
इतना ही नहीं उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में और चिकित्सा के क्षेत्र में अनुपम योगदान दिया है उन्होंने कई अस्पताल और स्कूल कॉलेज का निर्माण कराया है और क्षेत्र के जनता को समृद्ध करने की बातें कही है।
रतलाम के महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 11 नवंबर 1849 को हुआ था। वे ब्रिटिश भारत के राजा थे और उन्होंने अपने राज्य के विकास और समाज कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी उपलब्धियों की दिशा में काम किया और विद्यालयों की स्थापना की। रतलाम के महाराजा रणजीत सिंह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना योगदान दिया और राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए समर्थन प्रदान किया।
भारत की आजादी यूं ही हमें नहीं मिल रही है इसमें कई ऐसे विभूतियां शामिल है जो इतिहास (History of india)के पन्ने में आज भी गुम हो गई है उनमें से एक है महाराजा रणजीत सिंह जिन्होंने अपने आप को ना देखते हुए अपना सारा राज्य अंग्रेजों को दे दिया लेकिन कभी भी अपने क्षेत्र और अपनी प्रजा को भूख नहीं रहने दिया। कहा जाता है कि जब अकाल पड़ा था तब उसे समय महाराज ने अपने सारे कोष आम जनता और प्रजा के लिए खोल दिए थे जिसकी वजह से आज भी उनकी ख्याति अमर है।
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