बांधवगढ़ में मेरी बीट मेरा अभिमान कार्यशाला शुरू, बनकर्मियों को मिल रहा विशेष प्रशिक्षण
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने अपने मैदानी अमले की कार्य क्षमता और मानसिक मजबूती बढ़ाने के लिए चार दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यशाला मेरी बीट मेरा अभिमान की शुरुआत की है। यह कार्यशाला 9 सितंबर से लास्ट वाइल्डरनेस फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित की जा रही है।
बांधवगढ़ की चुनौतियां
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अपनी समृद्ध जैव विविधता और बाघों के सर्वाधिक घनत्व के कारण देशभर में अलग पहचान रखता है। यहां हाथियों का स्थायी रहवास भी है, जिसके कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति समय-समय पर बन जाती है। ऐसे माहौल में काम करना अग्रिम पंक्ति के बनकर्मियों के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। उनकी सजगता, आत्मविश्वास और व्यावसायिक दक्षता सीधे तौर पर पार्क की सुरक्षा और संरक्षण से जुड़ी रहती है।
कार्यशाला का उद्देश्य
इस पृष्ठभूमि में मेरी बीटमेरा अभिमान कार्यशाला शुरू की गई है। चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य है कि फील्ड स्टाफ को न केवल वन्यजीव संरक्षण से जुड़े तकनीकी पहलुओं में दक्ष बनाया जाए, बल्कि उनकी मानसिक मजबूती और टीम भावना को भी बढ़ाया जाए।
लास्ट वाइल्डरनेस फाउंडेशन की विशेषज्ञ टीम और अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक बनकर्मियों को विभिन्न गतिविधियों और संवाद के माध्यम से प्रशिक्षित कर रहे हैं। प्रशिक्षण सत्रों में आत्मविश्वास, अनुशासन, परस्पर सहयोग और सामुदायिक सहभागिता जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
संवाद और गतिविधियों के जरिए सीख
कार्यशाला में ऐसे अभ्यास शामिल किए गए हैं, जिनसे कर्मचारियों में निर्णय लेने की क्षमता और नेतृत्व कौशल का विकास हो सके। प्रशिक्षकों का मानना है कि जंगल की परिस्थितियों में अचानक उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए यह प्रशिक्षण अत्यंत उपयोगी साबित होगा। खासकर मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसी परिस्थितियों में फील्ड स्टाफ को त्वरित और संतुलित निर्णय लेने होते हैं, जिनका असर न केवल ग्रामीणों बल्कि वन्यजीवों की सुरक्षा पर भी पड़ता है।
फील्ड डायरेक्टर का वक्तव्य
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. अनुपम सहाय ने कार्यशाला की शुरुआत के अवसर पर कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम पार्क प्रबंधन के लिए बेहद आवश्यक हैं। उन्होंने कहा,
बांधवगढ़ जैसे चुनौतीपूर्ण पार्क में अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों का आत्मविश्वासी, अनुशासित और प्रशिक्षित होना बेहद ज़रूरी है। इस तरह की कार्यशालाएं उन्हें न केवल प्रोफेशनल बनाएंगी, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसी परिस्थितियों से निपटने में भी सक्षम करेंगी।
संरक्षण में सामुदायिक सहभागिता पर जोर
प्रशिक्षण के दौरान कर्मचारियों को स्थानीय समुदायों के साथ बेहतर तालमेल बनाने की तकनीक भी सिखाई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब बनकर्मी ग्रामवासियों से संवाद स्थापित कर विश्वास का रिश्ता बनाते हैं, तो संरक्षण कार्य और भी आसान हो जाता है। सामुदायिक सहभागिता के बिना जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा अधूरी है।
भविष्य के लिए पहल
बांधवगढ़ प्रबंधन का कहना है कि इस तरह की कार्यशालाएं भविष्य में नियमित अंतराल पर आयोजित की जाएंगी ताकि स्टाफ को निरंतर सीखने और अपडेट रहने का अवसर मिल सके। वन विभाग का यह भी मानना है कि प्रशिक्षित और आत्मविश्वासी फील्ड स्टाफ से न केवल संरक्षण कार्य मजबूत होगा, बल्कि पर्यटक अनुभव भी बेहतर होगा।