Motivation: किसी ने खूब कहा है ” मंजिलें उन्ही को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है।
पंखों से कुछ भी नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।”
किसी शायर की यह पंक्ति एक दिव्यांग बेटी पर बखूबी लागू होती है।
जिले के इंदरगढ़ थाना क्षेत्र के चपरा गांव की रहने वाली मंजेश बघेल के हौसलों के सामने दिव्यांगता भी हार मान गई।
Motivation: दोनों हाथ और पैरों से दिव्यांग मंजेश जब हाथों से नहीं लिख सकी तो उसने अपने मुंह में कलम दवाई और लिखना शुरू कर दिया इसी तरह इस बेटी ने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की। सोमवार को जब यह दिव्यांग इंदरगढ़ के एक निजी विद्यालय में परीक्षा फार्म भरने पहुंची तो कॉलेज प्रबंधन ने इसकी फीस बकाया होने के कारण इसे फार्म भरने से रोक दिया।
Motivation: बेटी सीधी पीजी कॉलेज पहुंची और मुंह में कलम दबाकर एक आवेदन लिखा और अपनी परेशानी से अवगत कराया। तब पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ निलय गोस्वामी ने दरियादिली दिखाते हुए कॉलेज प्रबंधक को फटकार लगाई और फीस जमा करवाई।
इंदरगढ़ पीजी कॉलेज प्राचार्या
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