संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की 210 मेगावाट यूनिट फिर बंद, जिम्मेदारों पर उठ रहे सवाल
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
जिले का संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र एक बार फिर तकनीकी खराबी की वजह से सुर्खियों में है। केंद्र की 210 मेगावाट क्षमता वाली तीसरी यूनिट अचानक बंद हो गई। यूनिट बंद होने की वजह बॉयलर ट्यूब में लीकेज बताई जा रही है। इससे बिजली उत्पादन ठप हो गया और उपभोक्ताओं पर अप्रत्यक्ष असर पड़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
दरअसल, संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र का इतिहास अब आए दिन यूनिट बंद होने के मामलों से जुड़ता जा रहा है। कभी बॉयलर खराबी तो कभी रोटर की तकनीकी दिक्कत, केंद्र लगातार ठप होता है और फिर मरम्मत के नाम पर लंबे समय तक बंद रहता है। बताया जा रहा है कि जब से एच.के. त्रिपाठी मुख्य अभियंता के पद पर तैनात हुए हैं, तब से यहां तकनीकी खामियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। स्थानीय लोग और कर्मचारियों के बीच यह चर्चा आम हो गई है कि अभियंता स्तर पर गंभीर लापरवाही और प्रबंधन की कमजोरी के कारण ही यूनिट्स बार-बार बंद हो रही हैं।
पहले से ही ठप है 500 मेगावाट की यूनिट
जानकारी के मुताबिक, संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की 500 मेगावाट क्षमता वाली यूनिट पहले से ही बंद है। इसमें रोटर में बड़ी तकनीकी खराबी आ गई थी। महीनों बीत जाने के बाद भी अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि इसे कब तक ठीक कर शुरू किया जा सकेगा। ऐसे में अब 210 मेगावाट की तीसरी यूनिट का बंद होना, केंद्र की कार्यप्रणाली और जिम्मेदार अधिकारियों की दक्षता पर और भी बड़े सवाल खड़े कर रहा है।
जिम्मेदार अधिकारियों का रवैया
इस संबंध में जब अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजेंद्र साहू से जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि यूनिट बंद हुई है, लेकिन यह भी कह दिया कि वे छुट्टी पर हैं और ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते। इस जवाब ने ही प्रशासनिक गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए।
वहीं कार्यपालन अभियंता (बॉयलर) धर्मेंद्र तिवारी से जब संपर्क किया गया तो उनका रवैया और भी चौंकाने वाला रहा। उन्होंने सवालों पर जानकारी देने के बजाय उन्होंने यह कहकर फोन काट दिया कि आपको मेरा नंबर कहां से मिला? इस तरह का व्यवहार एक सरकारी अभियंता के पद और जिम्मेदारी की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला माना जा रहा है।
प्रबंधन पर सवाल
जानकारों का कहना है कि यूनिट का बार-बार ठप होना सीधे तौर पर मेंटेनेंस की कमी और तकनीकी निगरानी में लापरवाही को दर्शाता है। इस तरह की लगातार गड़बड़ियां किसी भी बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट में सामान्य नहीं मानी जातीं। यहां सवाल यह उठता है कि जब एक मुख्य अभियंता की प्राथमिक जिम्मेदारी ही यूनिट्स को सुचारु रूप से चलाना है, तो फिर लगातार बंद होने की स्थिति क्यों बनी हुई है?
स्थानीय कर्मचारियों का भी कहना है कि जब से एच.के. त्रिपाठी ने मुख्य अभियंता का पद संभाला है, तब से केंद्र की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती चली गई है। रूटीन मेंटेनेंस से लेकर तकनीकी सुधार तक, कहीं न कहीं लापरवाही और प्रबंधन की कमी साफ दिखाई देती है।
बिजली आपूर्ति पर असर
हालांकि अभी तक उत्पादन ठप होने की स्थिति का असर प्रदेशभर की बिजली आपूर्ति पर कितना पड़ेगा, इस पर विभाग ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। लेकिन यह तय है कि 500 मेगावाट की यूनिट पहले से बंद होने और अब 210 मेगावाट की यूनिट ठप होने से संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है। इससे बिजली वितरण कंपनियों को वैकल्पिक इंतजाम करने में परेशानी होगी।
उमरिया समेत आसपास के इलाकों में लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी इकाइयों के बंद होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी न तो जानकारी देने को तैयार हैं और न ही जवाबदेही निभा रहे हैं। कार्यपालन अभियंता धर्मेंद्र तिवारी का फोन काट देना इस बात का उदाहरण है कि विभागीय अधिकारियों को जनता और मीडिया के सवालों की कोई परवाह नहीं है।
संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन लगातार यूनिट्स का ठप होना और अधिकारियों का उदासीन रवैया, दोनों ही गंभीर चिंता का विषय हैं। मुख्य अभियंता एच.के. त्रिपाठी की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है, वहीं कार्यपालन अभियंता धर्मेंद्र तिवारी का गैर-जिम्मेदाराना रवैया भी विभाग की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। सवाल यह है कि आखिर कब तक प्रदेश के सबसे बड़े ताप विद्युत केंद्रों में से एक का संचालन ऐसे ही ढीले प्रबंधन के सहारे चलता रहेगा।