बाँधवगढ़ में फिर गूंजी नई दहाड़, तारा बाघिन के तीन शावकों ने बढ़ाई वाइल्डलाइफ की चमक
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व से एक बार फिर रोमांचक खबर सामने आई है। रिजर्व के पचपेढ़ी जोन में चर्चित तारा बाघिन अपने तीन नन्हे शावकों के साथ दिखाई दी है। इन शावकों की उम्र करीब तीन महीने बताई जा रही है। यह नजारा देखने के बाद वनकर्मियों और पर्यटकों दोनों में उत्साह का माहौल है। बाँधवगढ़ प्रबंधन ने पुष्टि की है कि इन शावकों का जन्म जुलाई से अगस्त के बीच हुआ था।
बाँधवगढ़ की शान तारा ने पाँचवीं बार दिया जन्म
तारा बाँधवगढ़ की सबसे चर्चित बाघिनों में से एक है। उसका जन्म 2015 में प्रसिद्ध नर बाघ भीम और ढमढमा फीमेल से हुआ था। अब लगभग नौ से दस वर्ष की तारा पाँचवीं बार माँ बनी है। उसकी उपस्थिति ने बाँधवगढ़ को कई बार सुर्खियों में रखा है। उसकी पहचान शांत स्वभाव और अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहने वाली बाघिन के रूप में है।
माँ की छांव में बढ़ रहे नन्हे शिकारी
शावकों के जन्म के बाद बाघिन आमतौर पर उन्हें पहले दो महीने तक किसी सुरक्षित जगह जैसे गुफा या घने झाड़ों में छिपाकर रखती है। इस दौरान वह बार-बार स्थान बदलती रहती है ताकि कोई शिकारी या नर बाघ उनके करीब न आ सके। जब शावक ढाई से तीन महीने के हो जाते हैं, तब बाघिन उन्हें अपने साथ जंगल में घूमना सिखाना शुरू करती है। तारा भी यही कर रही है वह उन्हें शिकार की आदत और जंगल के नियम सिखा रही है। शुरुआत में वह खुद मांस को चबाकर नरम करती है और फिर शावकों को खिलाती है ताकि वे धीरे-धीरे खुद शिकार करना सीख सकें।
संभावना: पुजारी या डी-1 नर बाघ के शावक
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार तारा के ये तीन शावक संभवतः पुजारी या डी-1 नर बाघ के हो सकते हैं। पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान तारा इन दोनों बाघों के साथ मेटिंग करते देखी गई थी। हालांकि इसकी अंतिम पुष्टि आगे के अवलोकन और कैमरा ट्रैप डेटा से होगी।
बाँधवगढ़: बाघों के लिए सुरक्षित आश्रयस्थल
बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व को लंबे समय से बाघों की नर्सरी कहा जाता है। यहाँ घने जंगल, गुफाएं, पर्याप्त शिकार और पूरे वर्ष जल स्रोत की उपलब्धता बाघों के प्रजनन के लिए आदर्श वातावरण तैयार करती हैं। तारा और उसके शावकों का दिखना इस बात का प्रमाण है कि बाँधवगढ़ में बाघों को अनुकूल और सुरक्षित जीवन मिल रहा है।
तारा की नई पीढ़ी ने बाँधवगढ़ की वाइल्डलाइफ में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ दिया है। यह दृश्य न सिर्फ वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुशी का कारण है, बल्कि उस संरक्षण व्यवस्था की सफलता भी दर्शाता है, जिसके कारण बाँधवगढ़ आज दुनिया भर के बाघ प्रेमियों का केंद्र बना हुआ है।
