करंट की चपेट में आया ठेका श्रमिक, संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र और ठेकेदार पर उठे सवाल
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र बिरसिंहपुर पाली में लापरवाही का एक और बड़ा मामला सामने आया है। स्विच यार्ड के 0.4 मीटर पैनल में काम कर रहे एक ठेका श्रमिक को करंट लगने से गंभीर चोटें आई हैं। हादसे के बाद प्रबंधन और ठेकेदार कंपनी की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि बताया जा रहा है कि श्रमिक से चालू लाइन पर बिना परमिट और बिना सुरक्षा उपकरण के काम कराया जा रहा था।
घायल श्रमिक की पहचान राजेंद्र कुमार वर्मा पिता स्वर्गीय मिठाई लाल वर्मा, उम्र 48 वर्ष, निवासी वार्ड क्रमांक 7, बिरासिनी मंदिर के पास, पाली के रूप में हुई है। वह एम एस सरको इंजीनियरिंग वर्क्स नामक ठेका कंपनी के अंतर्गत कार्यरत हैं। हादसा शुक्रवार को उस समय हुआ जब राजेंद्र स्विच यार्ड के पैनल में मरम्मत संबंधी कार्य कर रहा था। सूत्रों के अनुसार अचानक शॉर्ट सर्किट हुआ और करंट की चपेट में आने से वह बुरी तरह घायल हो गया।
बिना सुरक्षा उपकरण काम कराने का आरोप
मामले की गंभीरता इसलिए और बढ़ जाती है क्योंकि सूत्र साफ-साफ बता रहे हैं कि राजेंद्र वर्मा को काम शुरू करने से पहले किसी तरह का सुरक्षा का उपकरण उपलब्ध नहीं कराया गया था। सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि जिस पैनल में मरम्मत का काम कराया जा रहा था, वह चालू लाइन पर था और इसके लिए न तो किसी तरह का शटडाउन लिया गया और न ही कोई परमिट ली गई।
विद्युत केंद्र में सुरक्षा को लेकर इतनी बड़ी लापरवाही कहीं न कहीं प्रबंधन और ठेकेदार कंपनी की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। श्रमिको का कहना है कि जब तक ठेका कंपनियों को बिना निगरानी के खुली छूट दी जाएगी, तब तक इस तरह की घटनाएँ होती रहेंगी।
हादसे के बाद हड़कंप
करंट लगते ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन में राजेंद्र को संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज जारी है। डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताई है और फिलहाल वह निगरानी में है। हादसे की खबर मिलते ही श्रमिकों में गुस्सा फैल गया और उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन और ठेकेदार दोनों ही श्रमिकों की सुरक्षा की अनदेखी कर रहे हैं।
बार-बार दोहराई जा रही लापरवाही
यह पहली बार नहीं है जब संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र में ठेका श्रमिकों की जान से खिलवाड़ हुआ हो। इससे पहले भी कई बार बिना सुरक्षा उपकरण और प्रशिक्षण के काम कराने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके, प्रबंधन और ठेकेदारों ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ऐसे हालात में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर श्रमिकों की सुरक्षा किसकी जिम्मेदारी है?
बताया कि हैं कि स्विच यार्ड और पैनल से जुड़े काम उच्च जोखिम वाले होते हैं और इसमें सिर्फ प्रशिक्षित कर्मचारियों को ही उचित सुरक्षा इंतजाम के साथ उतारा जाना चाहिए। लेकिन यहां नियमों को ताक पर रखकर सीधे जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
ठेका पद्धति पर भी सवाल
इस घटना ने एक बार फिर ठेका पद्धति की खामियों को उजागर कर दिया है। श्रमिक संगठनों का कहना है कि ठेकेदार कंपनियाँ लागत घटाने के चक्कर में सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज कर देती हैं। वहीं, विद्युत केंद्र प्रबंधन भी सिर्फ उत्पादन लक्ष्य तक सीमित रहकर अपने दायित्व से बचता है। नतीजा यह होता है कि हादसों का शिकार सीधे तौर पर गरीब श्रमिक होते हैं, जिनकी जिंदगी की कोई कीमत नहीं समझी जाती।
कार्रवाई की मांग
स्थानीय श्रमिकों ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और जिम्मेदार ठेकेदार कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही विद्युत केंद्र प्रबंधन को भी कटघरे में खड़ा किया जाए, क्योंकि बिना अनुमति और बिना सुरक्षा उपकरण काम कराना सीधे तौर पर उनकी लापरवाही को दर्शाता है।
राजेंद्र वर्मा की हालत फिलहाल अस्पताल में गंभीर बनी हुई है, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर समय रहते सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू नहीं किया गया तो भविष्य में और भी बड़े हादसे हो सकते हैं। जरूरत है कि प्रबंधन और ठेकेदार दोनों ही श्रमिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें, वरना यह केंद्र उत्पादन के साथ-साथ हादसों का भी केंद्र बनकर रह जाएगा।
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