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Elephant: एमपी मे मिला मखना हाथी,जाने क्या होते हैं ये हाथी, क्या है इनकी पहचान ?

Tapas Gupta

By Tapas Gupta

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Elephant: एमपी मे मिला मखना हाथी,जाने क्या होते हैं ये हाथी, क्या है इनकी पहचान ?

उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)

Elephant: मध्य प्रदेश में अब बाघ ही नहीं बल्कि हाथियों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है लेकिन हाथियों में भी कुछ ऐसी प्रजाति पाई जाती है जिसे आज तक आपने नहीं सुना होगा और उसके बारे में आज तक जाना नहीं होगा। आज हम आपको ऐसे ही एक हाथी के बारे में बताने वाले हैं जो कि आपको जरूर हैरान कर देगी। यह होते हैं माखन हाथी।

Elephant: एमपी के उमरिया जिले का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व यूं तो बाघों की दहाड़ के लिए अपनी खास पहचान रखता है, लेकिन अब हाथियों के लिए भी इसकी एक अलग पहचान बन चुकी है, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अब काफी संख्या में हाथी पाए जाते हैं, जिनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, और इसी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक मखना हाथी भी मिल गया है।

बाघों के अलावा अब यह बना हाथियों का घर 

Elephant: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश का एक ऐसा टाइगर रिजर्व है जहां काफी संख्या में पर्यटक बाघों की दीदार करने के लिए यहां पहुंचते हैं, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1536 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघों के अलावा अब हाथियों के लिए भी अपनी खास पहचान बन चुका है क्योंकि यहां साल 2018 से ही हाथियों के आने का जो सिलसिला शुरू हुआ अब उनकी संख्या लगभग 60 से 65 तक पहुंच चुकी है, अधिकारियों की माने तो साल 2018 से ही 40 हाथियों का एक पूरा दल आया, जिसके बाद से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उन्हें भा गया, और अब इसी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक मखना हाथी भी पाया गया है, जो की बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ताला रेंज में अक्सर देखा जाता है। और इस हाथी को बांधवगढ टाइगर रिजर्व का जंगल भा गया है, वो लगातार यहां विचरण कर रहा है, और मस्ती के साथ रह रहा है।

क्या है माखन हाथी

Elephant: आखिर हाथियों के बीच में ये मखना हाथी क्या होते हैं, इसे लेकर बांधवगढ टाइगर रिजर्व के उप संचालक पी के वर्मा बताते हैं हाथियों में नर और मादा हाथी तो पाए ही जाते हैं, लेकिन इसी में एक तीसरी प्रजाति भी होती है जिसे मखना कहा जाता है इसकी पहचान यह होती है कि जो नर हाथी होते हैं उनके दांत होते हैं लेकिन ये मखना हाथी मेल हाथी होता है, लेकिन इसके दांत नहीं निकलते या निकलते भी हैं तो इतने छोटे होते हैं कि वो नजर ही नहीं आते हैं, एक तरह से इसे अनुवांशिक वजह भी मान सकते हैं, और इस हाथी में कई खास बातें होती हैं, इस हाथी के पास ज्यादातर लोग जाना पसंद नहीं करते हैं वन्य कर्मी भी इससे दूरी ही बना कर रखते हैं, मखना हाथी ज्यादातर केसेस में देखा गया है कि ये झुंड से अलग ही रहते हैं, जो झुंड का दंतैल हाथी होता है, वो इसे झुंड में रहने नहीं देता है, और झुंड से बाहर हटा देता है, इस तरह के हाथी को पहली बार दक्षिण भारत में देखा गया था, और वहीं से मखना हाथी की पहचान हुई थी, मखना हाथी को पार्टनर मिलने में भी दिक्कत होती है मखना हाथी को फीमेल हाथी भी अपने आसपास भी नहीं भटकने देती है, जिससे इसे पार्टनर मिलने में भी दिक्कत आती है, और ये वजह भी होती है कि वो थोड़ा आक्रामक हो जाता है, हालांकि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जो मखना हाथी देखा गया है उसमें अभी आक्रामकता के कोई लक्षण नहीं देखे गए हैं, वो पूरी तरह से सामान्य बर्ताव कर रहा है, और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में भरपूर खाना खा रहा है, पानी पी रहा है जिसकी वजह से मस्ती के साथ रह रहा है, और जंगल में विचरण कर रहा है, हालांकि उस हाथी पर भी पैनी नजर बनाकर रखी गई है, और उसके हर एक मोमेंट पर नजर रखी जा रही है।

Elephant: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ज्यादातर अपनी पहचान बाघों के लिए ही रखता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां हाथियों ने भी अपना स्थाई पता बनाया है, आखिर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथी आए कहां से इसे लेकर जानकार बताते हैं कि हाथियों का ये पुराना और ट्रेडिशनल रूट है, करीब सैकड़ो साल पहले जब कभी हाथी सेंट्रल इंडिया लैंडस्केप में थे तब से इन लोगों को पता है कि इनका पुराना रूट कहां और क्या था, और कहां से इनका कॉरिडोर है, ये हाथी झारखंड और छत्तीसगढ़ की ओर से यहां पहुंचे और संजय गांधी टाइगर रिजर्व वाला एरिया होकर के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पहुंच गए एक तरह से इन्होंने डिस्टरबेंस से परेशान होकर एक नई सेफ जगह तलाशी हाथियों के एक्सपर्ट बताते हैं कि अक्सर उनके हाथियों को जहां भी आहार पर्याप्त मात्रा में मिलता है, भोजन जहां पर्याप्त मात्रा में मिलता है और पानी की अच्छी उपलब्धता हो जाती है, घना जंगल मिल जाता है, वो जगह उन्हें बहुत पसंद रहती है, और सबसे बड़ी बात ये है कि आज के समय में जहां किसी तरह का डिस्टरबेंस नहीं रहता मतलब मानव हस्तक्षेप नहीं रहता है, उस जगह को हाथी बहुत पसंद करते हैं, और इसीलिए जैसे ही हाथी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंचे उन्हें ये माहौल मिल गया क्योंकि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व काफी घना जंगल है, बड़ा जंगल है, यहां अभी मानव हस्तक्षेप बहुत कम है, डिस्टरबेंस ज्यादा नहीं है, साथ में हाथियों के लिए पर्याप्त भोजन है, पानी की भी अच्छी खासी उपलब्धता है, क्योंकि कई छोटी बड़ी नदियां बहती हैं, तालाब है नदी नाले हैं जिसकी वजह से हाथियों को यह जगह बहुत सुरक्षित लगती है और यही वजह है कि यहां अब हाथियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

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मै तपस गुप्ता 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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