MP News: कागजों में नौरोजाबाद, हकीकत में गोरईया,मुख्यमंत्री कार्यक्रम में वाहन बिल घोटाले ने मचाया बवाल
उमरिया तपस गुप्ता ( 7999276090)
उमरिया जिले की पाली जनपद क्षेत्र के घुनघुटी ग्राम पंचायत एक बार फिर विवादों में घिर गई है। इस बार मामला सीधे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के 4 जून 2025 को पाली जनपद की ग्राम पंचायत गोरईया में आयोजित पेसा एक्ट महासम्मेलन से जुड़ा है। इस हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम में ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की गई थी, लेकिन अब इसी व्यवस्था के नाम पर फर्जी वाहन किराया बिल का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
बिल बना नौरोजाबाद का, जबकि कार्यक्रम था गोरईया में
‘अर्जुन ट्रेवेल्स’ नामक ट्रैवल एजेंसी द्वारा दिए गए बिल में चार गाड़ियों की तैनाती घुनघुटी से नौरोजाबाद तक दिखाई गई है। जबकि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम नौरोजाबाद में नहीं, बल्कि गोरईया ग्राम में हुआ था, जो पाली जनपद पंचायत के अंतर्गत आता है। ऐसे में सवाल उठता है।
गाड़ियाँ नौरोजाबाद क्यों भेजी गईं? क्या ये सिर्फ लापरवाही है या सुनियोजित घोटाला?
₹13,000 के बिल में कई झोल
इस बिल में कुल ₹13,000 का किराया दिखाया गया है जिसमे कार -₹3,000,इको गाड़ी – ₹3,000,इको गाड़ी – ₹3,000,तूफान गाड़ी – ₹4,000
ना किसी वाहन का नंबर है, न GST नंबर, और किराया भी सामान्य दर से अधिक दिखाया गया है। ये सब मिलाकर भुगतान की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करते हैं।
कांग्रेस ने साधा निशाना – ‘ फर्जीवाड़ा’ करार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जानकी प्रसाद मिश्रा ने मामले को सुनियोजित फर्जीवाड़ा बताते हुए कहाकि कार्यक्रम गोरईया में हुआ, लेकिन बिल नौरोजाबाद का बनाया गया। बिना GST नंबर और उचित दस्तावेजों के यह पूरी प्रक्रिया संदेहास्पद है। यह घोटाला नहीं तो और क्या है? पैसा निकालने के लिए कागजों में हेराफेरी की गई है। उन्होंने स्वतंत्र जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।
भाजपा नेता विमल अग्रवाल का बयान – “भ्रष्टाचार की बू साफ झलकती है”
भाजपा के वरिष्ठ नेता विमल अग्रवाल ने भी इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए कहा कि 4 जून को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पाली जनपद की ग्राम पंचायत गोरईया में आए थे। मगर बिल में हितग्राहियों को नौरोजाबाद में उतारा गया बताया गया है, जो पूरी तरह गलत है।
इसमें स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार की बू आती है। विभाग के उच्च अधिकारियों को चाहिए कि इस तरह की घटनाओं पर नजर रखें और दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करें।
पंचायत सचिव का गैरजिम्मेदार बयान
जब तत्कालीन पंचायत सचिव नयन सिंह से पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि गलती से हो गया होगा। गाड़ी वाला जितना मांगता है, हम उतना दे देते हैं।
क्या सरकारी खजाने से इस तरह मनमाने तरीके से भुगतान किया जा सकता है? इस बयान ने पंचायत व्यवस्था की जवाबदेही और वित्तीय अनुशासन पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रशासन की चुप्पी और जनता की नाराजगी
जब जनपद पंचायत सीईओ कुंवर कन्हाई से इस मामले पर बात की गई, तो उन्होंने कहा कि कार्यक्रम तो गोरईया में हुआ था, लेकिन बिल नौरोजाबाद का क्यों बना, यह संबंधितों से पूछकर ही बता पाऊंगा। यह जवाब साफ करता है कि प्रशासन के पास भी जवाबदेही और निगरानी तंत्र की गंभीर कमी है।
हर फाइल में हो सकता है यही खेल?
इस घटना ने ग्राम पंचायतों में वित्तीय पारदर्शिता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। जब मुख्यमंत्री स्तर के कार्यक्रम में ही बिलों की हेराफेरी होती है, तो छोटे स्तर की योजनाओं में क्या भरोसा किया जाए?
ऐसे ही एक मामले में घुनघुटी पंचायत से जुड़ी एक और घटना सामने आई थी, जिसमें कागजों में गाड़ी कहीं और भेजी गई और असल में कहीं और। बार-बार ऐसी घटनाएं जनता के विश्वास को तोड़ती हैं।
जनता और विपक्ष की एकजुट मांग – निष्पक्ष जांच हो
अब जनता और विपक्ष की मांग तेज हो गई है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और जो भी अधिकारी, कर्मचारी या जनप्रतिनिधि इसमें दोषी पाया जाए, उसके खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई हो।
यह ₹13,000 का मामूली बिल नहीं है, यह सरकारी धन की विश्वसनीयता और जनहित योजनाओं की पारदर्शिता का सवाल है।
यह खबर जिले भर में चर्चा का विषय बन चुकी है और प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में है। देखना यह है कि इस मामले में कितनी ईमानदारी से जांच होती है और दोषियों को कब तक सजा मिलती है।