Umaria News: पाली में श्रद्धा और आस्था से सराबोर रही रथयात्रा, रिमझिम फुहारों के बीच निकला भगवान जगन्नाथ का रथ
उमरिया तपस गुप्ता (7999206090)
पाली नगर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा धार्मिक उल्लास, परंपरा और भक्ति के भाव से सम्पन्न हुई। रिमझिम बारिश की बूंदों ने इस आयोजन को और भी पावन बना दिया। यात्रा की शुरुआत मां बिरासिनी मंदिर प्रांगण स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से हुई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। बारिश के बावजूद भक्तों की आस्था में कोई कमी नहीं दिखी, सभी श्रद्धालु पूरे जोश और श्रद्धा के साथ यात्रा में शामिल हुए।
रथ यात्रा नगर के प्रमुख मार्गों—प्रकाश चौक, बस स्टैंड तिराहा, बाबू लाइन कॉलोनी, मीना द्वार, थाना रोड—से होते हुए नगर के वरिष्ठ समाजसेवी प्रकाश पालीवाल के निज निवास तक पहुंची। यह स्थान भगवान जगन्नाथ के तीन दिवसीय विश्राम स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसे परंपरा अनुसार ‘गुंडिचा मंदिर’ माना जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से द्वारका गए थे, तब उन्होंने राधारानी और व्रजवासियों से यह वादा किया था कि वे हर वर्ष एक बार मिलने अवश्य आएंगे। रथयात्रा उसी भावना की प्रतिध्वनि है, जिसमें भगवान स्वयं अपने भक्तों से मिलने नगर भ्रमण पर निकलते हैं।
प्रकाश पालीवाल के निवास स्थान पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को विशेष खिचड़ी का भोग अर्पित किया गया, जो मौसी के प्रेम और सेवा का प्रतीक माना जाता है। यहां तीन दिन तक भगवान के विश्राम व सेवा-अर्चना का विशेष आयोजन होता है, जिसमें नगरवासी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।
पूरे नगर में धार्मिक माहौल बना रहा। रथयात्रा के दौरान अखंड मानस पाठ, भजन-कीर्तन और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में थाल सजाकर आरती करती नजर आईं, जबकि युवाओं ने श्रद्धा से रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त किया।
पूरे नगर में “जय जगन्नाथ” के जयकारे गूंजते रहे। जगह-जगह फूलों की वर्षा, प्रसाद वितरण और आरती के आयोजन हुए। यह रथयात्रा न केवल धार्मिक आयोजन रही, बल्कि सामाजिक एकता और लोक परंपरा का जीवंत प्रतीक भी बनी।