Chhath Puja : श्रद्धा उल्लास के साथ मनाया गया छठ पर्व
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
Chhath Puja : उत्तर भारत व बिहार राज्य का प्रचलित महापर्व छठ पूजा पाली में भी पूरे परंपरागत तरीके से मनाया गया। पर्व को श्रद्धा उल्लास पूर्वक मनाने के लिए श्रद्धालुओं का भीड़ स्थानीय प्राचीन सगरा तालाब में एकत्र हुए। गौरतलब है कि पर्व के प्रथम दिन महिलाओं ने सूर्यास्त के पूर्व भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा पाठ के साथ व्रत की शुभारम्भ किया। इस दौरान बांस के बर्तन में फल सब्जी सहित अन्य नैवेद्य छठ माता व भगवान सूर्य देव को भोग स्वरूप अर्पित किए गए।बताया जाता है कि छठ पूजा के दिन सूर्य देवता की पूजा अर्चना की जाती है ।
Chhath Puja : इस दिन भगवान सूर्य को स्नान कर जलाशयों से अर्घ्य दिया जाता है उसके उपरांत विशेष पूजा-अर्चना की जाती है जिससे परिवार को दीर्घायु खुशहाली प्राप्ति होती है। मानता है कि नवविवाहित महिलाओं द्वारा व्रत का पालन करने से उन्हें तेजस्वी बलशाली संतान की प्राप्ति होती है।
Chhath Puja : इस दिन माता कुंती ने व्रत का पालन किया था तो उन्हें भी बलवान और तेजस्वी संतान की प्राप्ति हुई थी । बताया जाता है कि पहले दिन बिना नमक के भोजन किया जाता है दूसरे दिन निर्जला व्रत का पालन कर सायं सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और तीसरे दिन सुबह भोर में उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना कर व्रत का समापन किया जाता है।
महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए करता था यज्ञ
Chhath Puja :पुराण में इस बारे में एक और कथा प्रचलित है। एक अन्य कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियवद की पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर शमशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे।
Chhath Puja : उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि ‘सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो’। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।